क़लम ने जब-जब लिखना चाहा सच
झूठ ने तब-तब चहुँ दिशा से घेर
मारना चाहा उसे
पर वे जो हर भय से ऊपर उठ
आवश्यक मानते थे मनुष्यता बचाये रखना,
निर्भीक हो उन्मादी भीड़ से जूझते रहे
इधर झूठों ने की विषय बदलने की गुज़ारिश
और चाटुकार लपककर टटोलने लगे इतिहास
कायरों ने हर बार की तरह इस बार भी
छुपते-छुपाते, दबे स्वरों में साथी बनने का
गहन भाव प्रकट करना उचित समझा
लेकिन ये जो मुट्ठी भर ईमानदार लोग थे
जिन्हें हड़प्पा की सभ्यता को कुरेदने से
कहीं अधिक श्रेष्ठ लगा बच्चों का भविष्य देखना
उनके शब्द अंत तक सत्य के साथ
निस्वार्थ, बेझिझक, अटल खड़े रहे
जबकि वे भी मानते हैं कि
उन्मादी दौर में कोई नहीं पूछता गाँधी को
यहाँ असभ्यता, अभद्रता पर बजने लगी हैं तालियाँ
और क़लम के हिस्से, फूल से कहीं अधिक
आती रही हैं गालियाँ
लेकिन देखिये.....तब भी उन्होंने
मनुष्य होना ही चुना!
- © 2019 प्रीति 'अज्ञात'
झूठ ने तब-तब चहुँ दिशा से घेर
मारना चाहा उसे
पर वे जो हर भय से ऊपर उठ
आवश्यक मानते थे मनुष्यता बचाये रखना,
निर्भीक हो उन्मादी भीड़ से जूझते रहे
इधर झूठों ने की विषय बदलने की गुज़ारिश
और चाटुकार लपककर टटोलने लगे इतिहास
कायरों ने हर बार की तरह इस बार भी
छुपते-छुपाते, दबे स्वरों में साथी बनने का
गहन भाव प्रकट करना उचित समझा
लेकिन ये जो मुट्ठी भर ईमानदार लोग थे
जिन्हें हड़प्पा की सभ्यता को कुरेदने से
कहीं अधिक श्रेष्ठ लगा बच्चों का भविष्य देखना
उनके शब्द अंत तक सत्य के साथ
निस्वार्थ, बेझिझक, अटल खड़े रहे
जबकि वे भी मानते हैं कि
उन्मादी दौर में कोई नहीं पूछता गाँधी को
यहाँ असभ्यता, अभद्रता पर बजने लगी हैं तालियाँ
और क़लम के हिस्से, फूल से कहीं अधिक
आती रही हैं गालियाँ
लेकिन देखिये.....तब भी उन्होंने
मनुष्य होना ही चुना!
- © 2019 प्रीति 'अज्ञात'
ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को विश्व हास्य दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/05/2019 की बुलेटिन, " विश्व हास्य दिवस की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धन्यवाद
Deleteसुंदर !
ReplyDeleteधन्यवाद
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