कुछ कविताएँ जिनके लिए लिखी जाती हैं, उनके द्वारा पढ़ी नहीं जातीं
कुछ कही जाती हैं, पर सुनी नहीं जातीं
कुछ भेजी जाती हैं, पर उनके जवाब अनुत्तरित रहते हैं
कुछ डायरी में लिखी रह जाती हैं, एक अच्छे दिन की तलाश में....और तब तक उनके मायने खो जाते हैं.
ऐसा ही कुछ -
जब तुम मुझे अच्छा कहते हो
तो जैसे दुनिया भर के सारे दुःख
हँसते हुए छोड़ देते हैं मेरा साथ
और मेरी आँखों में उतर आती है
वो ख़ूबसूरत हरी घाटी
जहाँ खिलखिलाते फूलों का
एक भरा-पूरा मोहल्ला है
जी करता है कि दौड़कर जाऊं
किसी उत्तंग शिखर पर
और आसमान का माथा चूमते हुए
सुनूँ अपनी ही प्रतिध्वनि
कि देखो! उसने मुझे अच्छा कहा!
या फिर डुबा दूँ
मीठी सी किसी प्रेम नदी में अपना चेहरा
और बताऊँ उसे उसकी ही जुबां से
कितना अच्छा लगता है! अच्छा सुनना
कभी किसी रोज दाना चुगती
चिड़ियों की चहचहाहट संग
गुनगुनाऊं मैं भी हौले-हौले
कि ख़ुशी की सुबह ऐसी होती है!
तो कभी चाँद की खिड़की पर बैठकर
बादलों से कहूँ...
सुनो, उसने मुझे अच्छा कहा!
- - © #प्रीति_अज्ञात
तो जैसे दुनिया भर के सारे दुःख
हँसते हुए छोड़ देते हैं मेरा साथ
और मेरी आँखों में उतर आती है
वो ख़ूबसूरत हरी घाटी
जहाँ खिलखिलाते फूलों का
एक भरा-पूरा मोहल्ला है
जी करता है कि दौड़कर जाऊं
किसी उत्तंग शिखर पर
और आसमान का माथा चूमते हुए
सुनूँ अपनी ही प्रतिध्वनि
कि देखो! उसने मुझे अच्छा कहा!
या फिर डुबा दूँ
मीठी सी किसी प्रेम नदी में अपना चेहरा
और बताऊँ उसे उसकी ही जुबां से
कितना अच्छा लगता है! अच्छा सुनना
कभी किसी रोज दाना चुगती
चिड़ियों की चहचहाहट संग
गुनगुनाऊं मैं भी हौले-हौले
कि ख़ुशी की सुबह ऐसी होती है!
तो कभी चाँद की खिड़की पर बैठकर
बादलों से कहूँ...
सुनो, उसने मुझे अच्छा कहा!
- - © #प्रीति_अज्ञात
बहुत प्यारी रचना.....
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/05/2019 की बुलेटिन, " EVM पर निशाना किस लिए - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आज की सबसे प्यारी और उम्दा रचना पढ़ी है मैंने।
ReplyDeleteअब तक शायद मैं बीसियों पोस्ट पढ़ चुका हूं।
लेकिन ये उन सब में से एक अलग छाप छोड़ रही है।
बहुत ही प्यारी रचना।
हम्म... अच्छी।
वाह।
नई रचना- सर्वोपरि?
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत प्यारी अनुराग भरी रचना । किसी बहुत खास की एक प्रेमिल सराहना हमें आहलादित् कर उत्साह के सर्वोच्च शिखर पर ले जाती है। हार्दिक शुभकामनायें प्रति जी। 🙏🙏😊
ReplyDeleteकृपया प्रीति जी पढ़ें
ReplyDeleteचेहरे पे खुशी छा जाती है
ReplyDeleteआँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो
अपने पे गुरूर आ जाता है !!!
बस यही गीत याद आया आपकी कविता पढ़ते पढ़ते। सच में, चाहे कोई हमें अच्छा कहे या ना कहे, फर्क नहीं पड़ता। पर मन जिससे तारीफ सुनना चाहता है वह तारीफ कर दे तो दुनिया ही बदल जाती है।