एक टुकड़ा ज़िंदगी
अपनों से ही
होती रही भ्रमित
खोती रही
जीवन के मायने.
बदलते चले गये
श्वासों के अर्थ
ग़लत हुआ हर गणित.
शब्दों के पीछे छुपा मर्म
कोसता रहा अपने होने को
कौन पढ़ पाया
अहसासों और हृदय के
उस एकाकी कोने को ?
सबने चुन लीं
अपने-अपने हिस्से
की खुशियाँ
मुट्ठी भर मुस्कानें
समेटीं दोनों हाथों से
भरी रिक्तता स्वयं की
संवार ली अपनी दुनिया.
दर्द, आँसू सर झुकाए
अब भी तिरस्कृत
शून्य के चारों तरफ
निराश, हताश भटकते.
बंज़र ज़मीन पर
चीत्कारें भरता मन
सुन रहा है अट्टहास
बदली हुई दृष्टियों का
भिक्षुक बना प्रेम
स्मृतियाँ बनीं सौत
एक टुकड़ा ज़िंदगी
पल-पल बरसती मौत !
प्रीति 'अज्ञात'
अपनों से ही
होती रही भ्रमित
खोती रही
जीवन के मायने.
बदलते चले गये
श्वासों के अर्थ
ग़लत हुआ हर गणित.
शब्दों के पीछे छुपा मर्म
कोसता रहा अपने होने को
कौन पढ़ पाया
अहसासों और हृदय के
उस एकाकी कोने को ?
सबने चुन लीं
अपने-अपने हिस्से
की खुशियाँ
मुट्ठी भर मुस्कानें
समेटीं दोनों हाथों से
भरी रिक्तता स्वयं की
संवार ली अपनी दुनिया.
दर्द, आँसू सर झुकाए
अब भी तिरस्कृत
शून्य के चारों तरफ
निराश, हताश भटकते.
बंज़र ज़मीन पर
चीत्कारें भरता मन
सुन रहा है अट्टहास
बदली हुई दृष्टियों का
भिक्षुक बना प्रेम
स्मृतियाँ बनीं सौत
एक टुकड़ा ज़िंदगी
पल-पल बरसती मौत !
प्रीति 'अज्ञात'
.....संवेदनशील पंक्तियाँ :))
ReplyDelete............. अनुपम भाव संयोजन
Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर ….अब आंगन में फुदकती गौरैया नजर नहीं आती
. सच एक टुकड़ा ही तो जिंदगी...
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील रचना।
बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना .. :)
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद, संजय जी, कविता जी, सुशील कुमार जी, नीरज जी ! आप सभी का स्वागत एवं आभार :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नज़्म. ज़िन्दगी के डाइमेंशन्स को बयान करते हुए .
ReplyDeleteबधाई स्वीकार करे और आपका आभार !
कृपया मेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है . आईये और अपनी बहुमूल्य राय से हमें अनुग्रहित करे.
कविताओ के मन से
कहानियो के मन से
बस यूँ ही
धन्यवाद, विजय जी !
Deleteएक टुकड़ा जिंदगी भी कई बार सालों लम्बी हो जाती है जब गुज़रती नहीं ...
ReplyDeleteगहरा एहसास लिए है रचना ...
बहुत-बहुत आभार आपका :)
Deleteशब्दों के पीछे छिपा मर्म
ReplyDeleteकोसता रहा अपने होने को
कौन पढ़ पाया
एहसासों और ह्रदय के
उस एकाकी कोने को .....वाह प्रीती ...शब्द नहीं मेरे पास .....कितनी पीड़ा ..!!!!
शुक्रिया, सरस जी :) आती रहें यूँ ही..अच्छा लगता है !
Deleteकल 27/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
शुक्रिया, यशवंत जी ! :)
Deleteबहुत सुन्दर भाव !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग को भी फोलो करे ,ख़ुशी होगी !
उम्मीदों की डोली !
धन्यवाद सर ! आज ही आपका ब्लॉग भी फॉलो किया :) बेहतरीन लगा !
Deleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteशुक्रिया, अनुषा :)
Deleteमन को छू गई आपकी रचना। बहुत ही ख़ूबसूरती से आपने शब्दों को पिरोया है
ReplyDeleteशुक्रिया, स्मिता :)
Deleteमन के झंझावात का एक चमत्कारिक प्रभाव वाला शब्द चित्र
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद, अरविंद जी !
Deleteटुकड़ो में जिंदगी.... नहीं .........टुकड़े में जिंदगी देखने का अद्भुत प्रयास....... बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार, कौशल लाल जी !
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