जब तुम हंसते हो !
जब तुम हंसते हो
खिल उठती हैं
मोगरे की हज़ारों कलियाँ
और महक उठती हूँ मैं
उन कदमों की आहटें सुनकर
और लगता है, कि इस
हँसी का रास्ता
अभी मेरे दिल से ही तो
होकर गुजरा है.
उस वक़्त
महसूस करती हूँ तुम्हें
अपने बेहद पास
और जी लेती हूँ इस एहसास को
ठीक उसी तरह
जैसे मेरे लबों से होकर
तुम मुस्कुराए हो.
गर्व सा हो उठता है, खुद पर
बस ये सोचकर ही, कि
इस मुस्कुराहट के पीछे
कहीं मैं छुपी हूँ.
और अब, मर मिटी हूँ मैं
तेरे इसी चेहरे पर
जो सामने ना हो, तो भी
दिखाई दे जाता है
हर आईने में, बस तेरा ही तो
वादा है अब ये मेरा, तुझसे
रहूंगी उम्र भर, हर जनम
यूँ ही साथ हरपल तेरे
क्या करूँ, कुछ भी ना रहा
अब बस मैं मेरे
मुस्कानों के तार, जुड़ गये हैं
लिपटकर बेपनाह
एक-दूसरे से
कुछ इस तरह अब
तेरे - मेरे.
प्रीति 'अज्ञात'
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