Delhi.....The Crime City
राजधानी
कहाँ का ये गरूर है
ये कौन सा सुरूर है
कि हर ख़बर में बिकता
अब क़त्ल इक, ज़रूर है !
है हमारी राजधानी
जिसमें नहीं है, पानी*
जो माँगा हक़ किसी ने
तो जाँ पड़ी, गँवानी !
कभी कहीं पे चोरी
कहीं है सीनाज़ोरी
कभी हुआ घोटाला
छीना कभी निवाला !
हर कदम पे आके
इंसानियत सिसकती
वो ज़ख़्म क्या देखेगा
जो खुद नशे में चूर है !
शान अब दुनिया में
बस नाम को ही बाकी
दिलवालों की नहीं अब
हैवानियत भरपूर है !
शर्म से झुक जाती
अब नज़रें हैं अपनी
जब कहती ये दुनिया
कि दिल्ली मशहूर है !!
*इज़्ज़त
प्रीति 'अज्ञात' @ :((((((((((((((((((
No comments:
Post a Comment