Wednesday, December 19, 2012


Delhi.....The Crime City 
 
 
राजधानी 
कहाँ का ये गरूर है 
ये कौन सा सुरूर है 
कि हर ख़बर में बिकता 
अब क़त्ल इक, ज़रूर है ! 
 
है हमारी राजधानी 
जिसमें नहीं है, पानी* 
जो माँगा हक़ किसी ने 
तो जाँ पड़ी, गँवानी ! 
 
कभी कहीं पे चोरी 
कहीं है सीनाज़ोरी 
कभी हुआ घोटाला 
छीना कभी निवाला ! 
 
हर कदम पे आके 
इंसानियत सिसकती 
वो ज़ख़्म क्या देखेगा 
जो खुद नशे में चूर है ! 
 
शान अब दुनिया में 
बस नाम को ही बाकी 
दिलवालों की नहीं अब 
हैवानियत भरपूर है ! 
 
शर्म से झुक जाती 
अब नज़रें हैं अपनी 
जब कहती ये दुनिया 
कि दिल्ली मशहूर है !! 
 
*इज़्ज़त 
प्रीति 'अज्ञात' @ :(((((((((((((((((( 

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