दोस्तों की पहचान, अब पहले सी आसान नहीं
'ज़िंदगी' हम पर इस क़दर मेहरबान भी नहीं,
पल में अपने,पल में पराए से लगते हैं सभी
लोगों की भीड़ में वो, अपनों सी मुस्कान नहीं!
ये कैसे रिश्ते,कैसी उलझनों के बुने हैं धागे
कि हुनर तो सबमें है,पर कोई भी क़दरदान नहीं,
क्यूँ हादसे हुआ करते हैं, मोड़ पे ही आके अक़सर
घायल तो हुए हैं, पर दिखते लहुलुहान नहीं!
बहुत कुछ खोया और पाया भी है, हमने लेकिन
ज़िंदगी परेशान है,कि हम क्यूँ परेशान नहीं,
मिलोगे राहों में, तो यूँ ही मुस्कुराएँगे अक़सर
ना समझ ले ये दुनिया,कि 'पत्थर' हैं हम 'इंसान' नहीं!!
प्रीति'अज्ञात'
*Photos clicked by Preeti'agyaat'
Toooo Touchy :)
ReplyDeleteKeep Writing like this.. Best Wishes..
Thanx...Puneet !!
DeleteREAD YOUR "MAA JAISI MAIN" (I HOPE IT WAS YOURS ONLY). GREAT.TOO GOOD. TNX N RGDS
ReplyDeleteYes, It was mine!
DeleteThanks a lot, Sir :)