Thursday, January 1, 2015

'साल मुबारक '

नव-वर्ष 
नया दिन 
साल का प्रथम दिन 
नई  शुरुआत !
पर किसकी ?
जीवन वही 
लोग वही 
समाज वही 
जीने की शर्तें वही 
सोच वही 
कुंठाएं वही 
माह भी वही 
और उनमें शामिल दिनों की 
गिनती भी ?
उफ़्फ़…  वही !

तो इस 'नव-वर्ष ' में 
उम्मीद किससे ?
नई  आशाएं ?
नई  उमंगें ?
नई  तरंगें ?
नए सपने ?
फिर से कुलबुला रहे न ?
चलो दिया, आज की 
पहली सुबह  का 
पहला  स्वप्न !

पर अब आँखें खोलकर
एक कोशिश 
तुम्हारी हो 
छोड़ो ग्रहों का चक्कर 
न कोसो क़िस्मत को 
जला दो इन कुंडलियों को 
जो बैठीं हैं , हर जगह 
अपना फन उठाये 
वर्ष  कुछ नहीं कर पाता  कभी 
करना होगा हमें ही 
बदलनी होगी सोच 
तो बदलेगा रवैया 
दिखेगा परिवर्तन समाज में 
कम होंगीं कुंठाएं 
थोड़ा आसान जीवन 
कुछ खुशनुमा शर्तें 
थोड़ी मुस्कान 
थोड़ी और ज़िन्दगी 
'बस कर्म का ही अर्थ है 
अपेक्षा व्यर्थ है'  
और फिर होतें ही रहेंगे 
जाने कितने 'साल मुबारक '
मेरे, तुम्हारे, हम सबके ! :)

खुश रहें ! खुशियाँ बाटें !
दुःख का खरीददार यहाँ कोई नहीं !
आप सभी खूब प्रसन्न ,स्वस्थ एवं सुखी रहें और यह वर्ष पिछले से बेहतर हो ! इसी मंगलकामना के साथ आप, आपके परिवार और सभी मित्रों को नव-वर्ष की ढेर सारी बधाई !
- प्रीति 'अज्ञात'

3 comments:

  1. उम्मीद जगाती पंक्तियाँ बहुत सुंदर चित्र....व शब्द ....नये वर्ष की शुभकामनायें.....!!!

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  2. बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ :) नववर्ष की शुभकामनाएं

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  3. सुन्दर भाव लिए है आपकी रचना ...
    नव वर्ष मंगलमय हो ...

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