कई बार प्रेम तब होता है
जब उसे नहीं होना चाहिए था
इंसान जीता है व्यर्थ ही
जबकि उसे मर जाना चाहिए था
किसान हाथ जोड़ पूजता है रहनुमाओं को
जबकि उनका कॉलर पकड़ खींच लेना चाहिए था
स्त्री वर्षों बचाती है बिखरे रिश्ते को
जबकि उसे पहले ही दिन बाहर निकल जाना चाहिए था
लोग उम्र-भर ढकते हैं अपनी-अपनी कमियाँ
जबकि उनमें सुधार या फिर उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए था
उलझ जाते हैं सब खोखले शब्दों के मायाजाल में
जबकि बहेलिए को दर्पण दिखाना चाहिए था
रिश्ते, राजनीति, प्रेम या कि जीवन
जीतता आया है सबमें झूठ ही सदैव
जबकि हर बार सच को सामने आना चाहिए था
सच को सामने आना ही चाहिए था
- कॉपीराइट © प्रीति 'अज्ञात'
तस्वीर: गूगल से साभार
जब उसे नहीं होना चाहिए था
इंसान जीता है व्यर्थ ही
जबकि उसे मर जाना चाहिए था
किसान हाथ जोड़ पूजता है रहनुमाओं को
जबकि उनका कॉलर पकड़ खींच लेना चाहिए था
स्त्री वर्षों बचाती है बिखरे रिश्ते को
जबकि उसे पहले ही दिन बाहर निकल जाना चाहिए था
लोग उम्र-भर ढकते हैं अपनी-अपनी कमियाँ
जबकि उनमें सुधार या फिर उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए था
उलझ जाते हैं सब खोखले शब्दों के मायाजाल में
जबकि बहेलिए को दर्पण दिखाना चाहिए था
रिश्ते, राजनीति, प्रेम या कि जीवन
जीतता आया है सबमें झूठ ही सदैव
जबकि हर बार सच को सामने आना चाहिए था
सच को सामने आना ही चाहिए था
- कॉपीराइट © प्रीति 'अज्ञात'
तस्वीर: गूगल से साभार
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