Saturday, July 21, 2018

सब बढ़िया है

तुम्हारी हँसी 
जीवन की उस तस्वीर जैसी है 
जिसमें उम्र के तमाम अनुभव 
होठों पर जमकर खिलखिलाते हैं 
और फिर हँसते-हँसते अनायास ही 
मौन हो सूनी आँखों से 
एकटक देखते जाना 
दर्द की सारी परतों को 
जैसे जड़ से उधेड़कर रख देता है 
समय के साथ हम कितना कुछ सीख जाते हैं न!
मर-मर कर जीना 
या कि जीते जी मर जाना
स्वप्न को जीवित ही गाड़ 
इन आँखों का पत्थर हो जाना
और हँसते हुए दुनिया से हर रोज कहना 
सब बढ़िया है
- प्रीति 'अज्ञात'

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