तुम्हारी हँसी
जीवन की उस तस्वीर जैसी है
जिसमें उम्र के तमाम अनुभव
होठों पर जमकर खिलखिलाते हैं
और फिर हँसते-हँसते अनायास ही
मौन हो सूनी आँखों से
एकटक देखते जाना
दर्द की सारी परतों को
जैसे जड़ से उधेड़कर रख देता है
समय के साथ हम कितना कुछ सीख जाते हैं न!
मर-मर कर जीना
या कि जीते जी मर जाना
स्वप्न को जीवित ही गाड़
इन आँखों का पत्थर हो जाना
और हँसते हुए दुनिया से हर रोज कहना
सब बढ़िया है
- प्रीति 'अज्ञात'
जीवन की उस तस्वीर जैसी है
जिसमें उम्र के तमाम अनुभव
होठों पर जमकर खिलखिलाते हैं
और फिर हँसते-हँसते अनायास ही
मौन हो सूनी आँखों से
एकटक देखते जाना
दर्द की सारी परतों को
जैसे जड़ से उधेड़कर रख देता है
समय के साथ हम कितना कुछ सीख जाते हैं न!
मर-मर कर जीना
या कि जीते जी मर जाना
स्वप्न को जीवित ही गाड़
इन आँखों का पत्थर हो जाना
और हँसते हुए दुनिया से हर रोज कहना
सब बढ़िया है
- प्रीति 'अज्ञात'
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