Thursday, February 7, 2013



क्या है..ऐसी दुनिया कहीं ??? 
 
क्या है, ऐसी दुनिया कहीं... 
जहाँ .......... 
ना क़िस्मत की पीर हो 
ना आँखों में नीर हो 
ना शब्दों का वार हो 
ना रिश्ते व्यापार हो........ 
ना कोई जीत-हार हो 
ना पैनी हर धार हो 
ना हों उदास चेहरे 
ना वक़्त की ये मार हो ...... 
ना पैसों की चाह हो 
ना अंधी ये राह हो 
ना झूठ का ही राज हो 
ना अनसुनी आवाज़ हो ........ 
ना भटकें अब तकदीरें 
ना बदलें ये तस्वीरें 
हर शख़्स हो मुस्काता 
चाहे कोई भी नाम हो ....... 
आए हैं इस जहाँ में 
तो वज़ूद हो सभी का 
ना खोए कोई अपना 
ना कोई गुमनाम हो......!! 
 
प्रीति 'अज्ञात' 
 
 

4 comments:

  1. सम्पूर्ण रचना मानो किसी साँचे मेँ उतार कर गढी गयी हो.......
    बहुत सुन्दर रचना और उतना ही अच्छा प्रस्तुतिकरण....

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद..हेमंत !! प्रोत्साहन मिलता है, और भी बेहतर लिखने के लिए .

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