मिलो तो इस तरह मिलना
कि हवा हो जाएँ लक़ीरों की
सारी शिक़ायतें
और यूँ लगे जैसे सर्द अहसासों के आँगन में
गुनगुनी धूप उतर आई हो चुपके से
हँसो तो इस तरह हँसना
जैसे चहक उठता है सूरजमुखी
किरणों को देखकर
और कलियाँ निग़ाहों का नज़रबट्टू
पहना देती हैं उसे इठलाकर
कहो तो कुछ यूँ कहना
जैसे बारिश की बूँदें लिपटकर
बोलती हैं पत्तों से
और ओढ़ लेते हैं वृक्ष
सरगम की नवीन धुन कोई
ठहरो तो यूँ ठहरना
जैसे तारों को बाँहों में भर
सदियों से आसमान पर ठहरा है चाँद
और देता है साथ, रात का
जीवन के हर मौसम में
- © 2019 #प्रीति_अज्ञात
कि हवा हो जाएँ लक़ीरों की
सारी शिक़ायतें
और यूँ लगे जैसे सर्द अहसासों के आँगन में
गुनगुनी धूप उतर आई हो चुपके से
हँसो तो इस तरह हँसना
जैसे चहक उठता है सूरजमुखी
किरणों को देखकर
और कलियाँ निग़ाहों का नज़रबट्टू
पहना देती हैं उसे इठलाकर
कहो तो कुछ यूँ कहना
जैसे बारिश की बूँदें लिपटकर
बोलती हैं पत्तों से
और ओढ़ लेते हैं वृक्ष
सरगम की नवीन धुन कोई
ठहरो तो यूँ ठहरना
जैसे तारों को बाँहों में भर
सदियों से आसमान पर ठहरा है चाँद
और देता है साथ, रात का
जीवन के हर मौसम में
- © 2019 #प्रीति_अज्ञात
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