दोस्तों की दुश्मनी को माफ़ दिल से है किया
दिल पे जो गुजरी भुलाया हौसला बढ़ता गया
कौन किसका है यहाँ किसने गिराया आसमां
भौंचक हुई आँखें मग़र फिर हौसला बढ़ता गया
हम थे अहमक़ मानके इक सीख ली आगे बढ़े
याद की ग़लती जुबानी हौसला बढ़ता गया
भीड़ के चेहरे में शामिल शख़्स हर गुमनाम है
थाम के झंडा चले फिर हौसला बढ़ता गया
थी शिक़ायत रोज ही ज़ालिम जमाने से मगर
ग़म को जब-जब भी तराशा हौसला बढ़ता गया
अपने काँधे गिरके रोये और जब हंसने लगे
मौत को दी पटखनी फिर हौसला बढ़ता गया
-प्रीति 'अज्ञात'
दिल पे जो गुजरी भुलाया हौसला बढ़ता गया
कौन किसका है यहाँ किसने गिराया आसमां
भौंचक हुई आँखें मग़र फिर हौसला बढ़ता गया
हम थे अहमक़ मानके इक सीख ली आगे बढ़े
याद की ग़लती जुबानी हौसला बढ़ता गया
भीड़ के चेहरे में शामिल शख़्स हर गुमनाम है
थाम के झंडा चले फिर हौसला बढ़ता गया
थी शिक़ायत रोज ही ज़ालिम जमाने से मगर
ग़म को जब-जब भी तराशा हौसला बढ़ता गया
अपने काँधे गिरके रोये और जब हंसने लगे
मौत को दी पटखनी फिर हौसला बढ़ता गया
-प्रीति 'अज्ञात'
वाह दीदी, क्या बेहतरीन कविता है !
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