टूटा हुआ आदमी
प्रेम का मारा है
प्रेम में हारा है
डरता है लकीरों से
और गुपचुप करता है प्रेम
टूटा हुआ आदमी
मुँह खोल के हँसता है
लिखता जीवन और
ख़ुद सौ दफ़े
रोज़ाना मरता है
टूटा हुआ आदमी
सूरज-सा सांझ-सवेरे
डूबता, निकलता है
थमा आसमां सबको
दूर गहरे दरिया उतरता है
टूटा हुआ आदमी
सपने टूट जाने पर भी
नहीं हारता
टूटकर करता है प्रेम
क़तरा-क़तरा बिखरता है
-प्रीति 'अज्ञात'
प्रेम का मारा है
प्रेम में हारा है
डरता है लकीरों से
और गुपचुप करता है प्रेम
टूटा हुआ आदमी
मुँह खोल के हँसता है
लिखता जीवन और
ख़ुद सौ दफ़े
रोज़ाना मरता है
टूटा हुआ आदमी
सूरज-सा सांझ-सवेरे
डूबता, निकलता है
थमा आसमां सबको
दूर गहरे दरिया उतरता है
टूटा हुआ आदमी
सपने टूट जाने पर भी
नहीं हारता
टूटकर करता है प्रेम
क़तरा-क़तरा बिखरता है
-प्रीति 'अज्ञात'