ये गदहे, ये खच्चर, ये घोड़ों की दुनिया
ये इंसां से बेहतर निगोड़ों की दुनिया
ये सूखे और रूखे निवालों की दुनिया
ये दुनिया अगर चिढ़ भी जाये तो क्या है
हरेक गदहा घायल, मिली घास बासी
निगाहों में उम्मीद, दिलों में उबासी
ये दुनिया है या कोई सूखी-सी खांसी
ये दुनिया अगर चिढ़ भी जाये तो क्या है
वहाँ गुंडागर्दी को कहते हैं मस्ती
इस मस्ती ने लूटी है कितनों की बस्ती
वहाँ चीटियों-सी है आदम की हस्ती
वो दुनिया अगर गिर भी जाये तो क्या है
वो दुनिया जहाँ ज़िंदगी कुछ नहीं है
इज़्ज़त कुछ नहीं, भाषा कुछ नहीं है
जहां इंसानियत की क़दर कुछ नहीं है
वो दुनिया अगर चिढ़ भी जाये तो क्या है
मिटा गालियों को, सँवारो ये दुनिया
छोड़ अपराध, ईमां से चला लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही बचा लो,ये दुनिया
बचा लो, बचा लो...बचा लो ये दुनिया
ये दुनिया निखर के जो आये, तो क्या है!
ये दुनिया शिखर पे अब आये, तो क्या है!
- प्रीति 'अज्ञात'
(साहिर लुधियानवी साहब से क्षमा याचना सहित)
ये इंसां से बेहतर निगोड़ों की दुनिया
ये सूखे और रूखे निवालों की दुनिया
ये दुनिया अगर चिढ़ भी जाये तो क्या है
हरेक गदहा घायल, मिली घास बासी
निगाहों में उम्मीद, दिलों में उबासी
ये दुनिया है या कोई सूखी-सी खांसी
ये दुनिया अगर चिढ़ भी जाये तो क्या है
वहाँ गुंडागर्दी को कहते हैं मस्ती
इस मस्ती ने लूटी है कितनों की बस्ती
वहाँ चीटियों-सी है आदम की हस्ती
वो दुनिया अगर गिर भी जाये तो क्या है
वो दुनिया जहाँ ज़िंदगी कुछ नहीं है
इज़्ज़त कुछ नहीं, भाषा कुछ नहीं है
जहां इंसानियत की क़दर कुछ नहीं है
वो दुनिया अगर चिढ़ भी जाये तो क्या है
मिटा गालियों को, सँवारो ये दुनिया
छोड़ अपराध, ईमां से चला लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही बचा लो,ये दुनिया
बचा लो, बचा लो...बचा लो ये दुनिया
ये दुनिया निखर के जो आये, तो क्या है!
ये दुनिया शिखर पे अब आये, तो क्या है!
- प्रीति 'अज्ञात'
(साहिर लुधियानवी साहब से क्षमा याचना सहित)