Planet Facebook
आज हम यादों की वादियों में भटक रहे हैं और स्मृति-पटल पर अंकित हो रहा है,वह दिन; जब इस नीलगगन के तले (मतलब फ़ेसबुक) हमारी एक नई दुनिया बसी थी! बड़ी ही अनोखी है ये दुनिया, जो यहाँ चैन से रह लिया वह विश्व के किसी भी कोने में आसानी से, शांतिपूर्वक जीवन बिता सकता है. हाँ-हाँ, ऊटॅकमॅंड, झुमरीतलैया और गंजटिनबारा में भी( ये विविध-भारती वाली याददाश्त जाती ही नहीं).
अब हम आपको बताते हैं, कि इस ग्रह पर किस-किस तरह के प्राणियों से सामना हो सकता है. हमने उन्हें कुछ श्रेणियों में विभाजित कर दिया है, जिससे नये विद्धयार्थियों को समझने में थोड़ी सुविधा हो!
1. नशेड़ी टाइप - ये फ़ेसबुक को पूरी तरह समर्पित लोग हैं. इसकी वज़ह से ये अपना खाना-पीना, दीन-दुनिया सब भुला देते हैं. होशो-हवास भी बस इसी क्षेत्र तक ही सीमित रहते हैं. कोई इंसान दिन में या रात में चाहे जितने भी बजे, जो भी स्टेटस डाले उसे सर्वप्रथम लाइक करने का गौरव इन्हें ही प्राप्त होता है. हर चार घंटे में प्रोफाइल फोटो बदलना इनका प्रमुख शौक होता है ( गोया किसी ने कह दिया हो कि, हर चार घंटे बाद आपके चेहरे पर एक अलग सा नूर छाता है). इन्हें दोस्त अवश्य ही बनाइए.
2. दीवाने टाइप - इसमें बहुत ही खास वर्ग और सोच वाले प्राणी शामिल किए गये हैं. ये काफ़ी अलर्ट रहते हैं, ज्यों ही किसी खूबसूरत लड़की ने 'हेलो' लिखा..एक सेकेंड के अंदर उसके अपडेट पर लाशें बिछ जाया करती हैं ,जी! 'मिस यू', 'लव यू', 'कब मिलोगी' जैसी भावनाएँ उमड़-उमड़ के आती हैं. ये बड़े ही दिलदार टाइप के होते हैं, पर कुछ अपनी असली पहचान छुपा के रखते हैं! अरे, माँ-पापा के डर से नहीं, बाकी गर्लफ्रेंड्स के डर से! हे-हे-हे !!!
3. दुखेड़ी टाइप - इन्हें हम प्यार से दुखी आत्माएँ भी कहते हैं.अपने हर ग़म में सबको शामिल करने की प्रथा इस समाज में वर्षों से चली आ रही है. काँटेदार पेड़, सूखे फूल, मुरझाया गुलाब, टूटा दिल जैसे प्रोफाइल चित्र देखकर इनकी पहचान आसानी से की जा सकती है. इनको 'आरक्षण' देना बनता है जी !! हम इस वर्ग को इसका हक़ दिलाकर रहेंगे. कृपया, इन्हें भूलकर भी इग्नोर ना करें!
4. शहंशाह टाइप - ये उच्च वर्ग के लोग हैं. इनकी हर छोटी-बड़ी, उल्टी-सीधी, घटिया-बेहतरीन बात को लाइक करना, शेअर करना और सकारात्मक कॅमेंट करना हम सभी का परम कर्तव्य है. शायद कभी इनकी नज़रें आप पर पड़ जाएँ और आपके भाग्य का ढक्कन खुल जाए. इसलिए ये अगर आपको धन्यवाद भी ना दें , तो बुरा मत मानिए. व्यस्त लोग अपनी तारीफें पढ़ सकते हैं, पर जवाब का समय उनके पास नहीं होता रे!!
5. लवेरिया टाइप - फ़ेसबुक की असली रौनक, शानोशौक़त सब इन्हीं से है. ये बेहद भोले-भाले, निरीह जीव हैं, क्या करें...इनका खुद पर बस ही नहीं चलता! इन बेचारों को हर हफ़्ते एक नया प्यार होता है, ऐसा-वैसा नहीं, एकदम सच्चा वाला !!!! ये स्वभाव से बेहद मेहनती होते हैं. और नहीं तो क्या...पहले लड़की को फॉलो करो, फिर उसके सारे रिश्तेदारों, दोस्तों के कमेंट लाइक करके इंप्रेशन जमाओ. बड़ा ही मेहनत-मशक्कत वाला काम है जी ! क्या करें 'प्यार' चीज़ ही
ऐसी है. वैसे इस सच्चे वाले प्यार की न्यूनतम अवधि एक सप्ताह, और अधिकतम ??? हा-हा-हा...आप तो सीरीयस ही हो गये !!
ऐसी है. वैसे इस सच्चे वाले प्यार की न्यूनतम अवधि एक सप्ताह, और अधिकतम ??? हा-हा-हा...आप तो सीरीयस ही हो गये !!
6. महान आत्माएँ - ये दुखेड़ी समाज के ठीक विपरीत कार्य करते हैं. ये अपने अलावा सभी को बेहद तुच्छ नज़रों से देखते हैं. ये कभी किसी का कोई भी स्टेटस लाइक नहीं करते. वर्ष में एक-दो बार किसी को कमेंट देकर धन्य महसूस करा देना इनकी प्रमुख विशेषता है. बड़े लोगों की बड़ी बातें, समझा कीजिए, जनाब! अब अगर आपको अपनी सहनशक्ति की परीक्षा लेनी हो, तो इन्हें दोस्त अवश्य बनाएँ. वैसे, हमने चेतावनी दे दी है!
7. बंद दरवाजे - इन पर बड़ा तरस आता है,हमें! ये 'ब्लॉक्ड वर्ग' है. ये इस श्रेणी में कब और कैसे आए, इस पर गहन अनुसंधान चल रहा है. पर, ये बेचारे किसी को भी 'फ्रेंड रिक्वेस्ट' भेज पाने में असमर्थ पाए जाते हैं. इनकी मदद ज़रूर कीजिए! भगवान, आपका भला करेंगे !!
8. चिपकू लोग - यह वर्ग समाज के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. हरेक की वॉल पर अपने प्रॉडक्ट या कंपनी की जानकारी चेप देना इनकी दिनचर्या का एक प्रमुख अंग है. कई बार ये दूसरे तरीके भी अपनाते हैं. जैसे कि...'शेअर कीजिए, भला होगा', 'एक लाइक तो बनता है' अजी, हम तो दो बार भी क्लिक कर दें..पर अनलाइक हो गये तो हमें दोष मत दीजिएगा !! इन पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है, ताकि समस्या को जड़ से उखाड़ा जा सके !
9. सन्यासी टाइप - इस समाज के लोग फ़ेसबुक पर होते हुए भी लुप्तप्राय: लगते हैं. ये अपने शहर की हर लड़की / लड़का (एक ही क़ौम को क्यूँ दोष दिया जाए) को फॉलो करते हैं, दोस्त बनाते हैं, बातें भी करते हैं. पर ये लोगों की दृष्टि में आने से बचते हैं. कई लोगों को तो पता भी नहीं , कि ये बंदा / बंदी इस साइट पर अक़सर आया करते हैं. इनकी इस प्रवृत्ति को समझने के लिए शोध-कार्य जारी है. तब तक आप, ज़रा संभल के......!!!
10. नन्हे-मुन्ने राही - ये सबसे प्यारा और खूबसूरत वर्ग है. इसमें बच्चे आते हैं. 'बुक' भले ही ना 'फेस' की हो कभी, पर ये 'फ़ेसबुक' पर बहुतायत में पाए जाते हैं. इन्हें सिर्फ़ अपने लाइक्स की संख्या बढ़ाने में रूचि होती है. कृपया, इनका उत्साहवर्धन करें और इन पर पूरा ध्यान भी दें.
मेरा भारत सरकार से निवेदन है, कि बच्चों को 'नेट-शिक्षा' में पारंगत करने के लिए शीघ्र ही एक विधेयक बनाए, वरना हम 'भूख-हड़ताल' कर देंगे. साथ ही 'मार्क्स फॉर नेट' भी हमारी लड़ाई का एक अहम मुद्दा रहेगा! :)))
ये तो सिर्फ़ एक झलक भर है, इस दुनिया की ! पर, सच्ची बोलूं ना!! हमारा तो
जी ही भर गया, इस दोगली दुनिया से ! 'झूठे लोग-झूठी पसंद' .....हमने तो इसका यही नाम रखा है! 'जो तेरा है, वो मेरा है' सुना है ना आपने भी...सब झूठ !! सबको सिर्फ़ अपनी ही फ़िक्र है यहाँ पर! स्वार्थ से भरे हुए, गरूर से दबे
हुए..लोगों का शहर बन गया है !!
हुए..लोगों का शहर बन गया है !!
सब 'फ़ेसबुक' वालों की चाल है, बेवकूफ़ बना रहे हैं..वो हमें और हम खुद को ! खैर..हमारा फ़र्ज़ था आपको समझाना! आगे आपकी मर्ज़ी!
सब मोह-माया है , जी का ज़ंजाल है ! इसके झाँसे में मत आओ ! इस दुनिया का त्याग करो, या इसे अपना लो! हमने तो सिर्फ़ आपके भले की ही बात की है! खुदा, आपको हमेशा सलामत रखे !
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वैसे मेरा e-mail id है - preetiagyaat@gmail.com
हा-हा-हा-हा-हा :))))))))))))
प्रीति 'अज्ञात'