क्या है..ऐसी दुनिया कहीं ???
क्या है, ऐसी दुनिया कहीं...
ना क़िस्मत की पीर हो
ना आँखों में नीर हो
ना शब्दों का वार हो
ना रिश्ते व्यापार हो........
ना कोई जीत-हार हो
ना पैनी हर धार हो
ना हों उदास चेहरे
ना वक़्त की ये मार हो ......
ना पैसों की चाह हो
ना अंधी ये राह हो
ना झूठ का ही राज हो
ना अनसुनी आवाज़ हो ........
ना भटकें अब तकदीरें
ना बदलें ये तस्वीरें
हर शख़्स हो मुस्काता
चाहे कोई भी नाम हो .......
आए हैं इस जहाँ में
तो वज़ूद हो सभी का
ना खोए कोई अपना
ना कोई गुमनाम हो......!!
प्रीति 'अज्ञात'