मन में विश्वास होता है
प्रेम गीता क़ुरान होता है
ज़िन्दगी बन जाती है हसीं
कोई जब मेहरबान होता है
बदलते चेहरों से गिला कैसा
ख़ुदा सबपे कहाँ मेहरबान होता है
हुनर खिल उठता है और भी
कोई अपना जो कदरदान होता है
दिल औ' ईमां की इज़्ज़त रही नहीं बाकी
रिश्ता दो दिनों का मेहमान होता है
घर बने सबका ये मुमकिन कहाँ
कुछ के हिस्से फ़क़त मकान होता है
- प्रीति 'अज्ञात'
बहुत खूब ... हर शेर कुछ कहता हुआ ... हकीकत को बयान करता हुआ ...
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