ख़्वाहिशों के बादलों की.......कुछ अनकही...कुछ अनसुनी...

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Wednesday, April 22, 2020

सुनो, पृथ्वी

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सुनो, पृथ्वी मीलों चली हूँ तुम्हारी हरियल सी  कोमल छाँव में और कितनी ही बार महसूस की  तुम्हारे क़लेजे की उमस  तुम्हारे दर्द का चटकन...
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Wednesday, March 25, 2020

ये जीवन है!

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दुनिया हक्की-बक्की है इन दिनों  जैसे उड़ा दिए हैं रंग किसी ने  खनकती सुबह की सबसे दुर्लभ तस्वीर के  और पोत दिया है उस पर  लम्बी अवसा...
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Friday, February 21, 2020

मोए का पतो....

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पेड़ गिरा कें बिल्डिंग बन गईं खाट झुपड़ियाँ संग उखड़ गईं सांस घुटे ल्यो घामऊ  बढ़ गई जे का भओ? मोए का पतो...  दो थे कमरा आठ जना जब संग रहत...
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Saturday, February 8, 2020

कवि

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कवि पढ़ लेता है वह सब भी जो लिखा ही न गया कभी कवि सुन लेता है वह सब भी जो कहा ही न गया कभी जी लेता है तमाम अनकहे, अलिखित,अपठित गद्यां...
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कभी-कभी

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कभी-कभी शब्द भी छोड़ देते हैं कवि का साथ आते हुए प्रश्न और उसके बाद की गहरी चुप्पी संग दबी अचकचाहट में छुपा होता है उत्तर क्या तुमने पढ़ी ...
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Sunday, November 17, 2019

राजा और प्रजा

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लाशों के ढेर पर खड़े होकर  राजा बजा रहा है शान्ति का बिगुल भीड़ के शोरगुल में  दबा दी गई है सच की आवाज  छिपाये जा चुके हैं ख़ून से सने दस्...
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Thursday, July 25, 2019

बलत्कृत औरतें

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संस्कारी समाज में बलत्कृत औरतें  अब कभी नहीं कर सकतीं प्रेम  कि भद्र प्रेमियों के लिए जुगुप्सा का कारण, शर्म, अभिशाप का विषय है उन...
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Preeti 'Agyaat'
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